जिद अपनी छोड़, जिद अपनी छोड़
( तर्ज :- वादा न तोड़ )
ज़िद अपनी छोड़, ज़िद अपनी छोड़
तेरी सोने की लंका उजड़े ऽऽऽ…
नाता प्रभु से जोड़, जिद अपनी छोड़,
तेरी सोने की लंका उजड़े ऽऽऽ…॥
बना भेष जोगी का सिया तूने चुराई।
मजा इसका चखायेँगे तुझे रघुराई।
जीतेगा ना तू उनसे लड़के ऽऽऽ॥१॥
जिद अपनी … नाता प्रभु …
जो होता तू वीर लाता जानकी को ब्याह के।
चोर ही कहलाया रावण सिया को चुराके।
तेरी करनी का फल अब भोगना पड़े ऽऽऽ॥२॥
जिद अपनी … नाता प्रभु …
लौटा दे जनक सुता को इसमेँ तेरी खैर।
शरण मेँ जा श्रीराम की तजके तू बैर।
माफ तुझे प्रभु कर देँगे ऽऽऽ॥३॥
जिद अपनी … नाता प्रभु …
समझ न रावण तू राम को वनवासी।
अलख निरंजन ईश्वर वो घट-घट वासी।
‘खेदड़’ क्योँ न शरण प्रभु की पड़े ऽऽऽ॥४॥
जिद अपनी … नाता प्रभु …
ज़िद अपनी छोड़, ज़िद अपनी छोड़
तेरी सोने की लंका उजड़े ऽऽऽ…
नाता प्रभु से जोड़, जिद अपनी छोड़,
तेरी सोने की लंका उजड़े ऽऽऽ…॥
Bhajan By “PKhedar”