दुनिया भर के हिंदुस्तानी,
के मन में उत्कर्ष है,
ये हिन्दू नववर्ष है,
ये अपना नववर्ष है।।
चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा को,
नए साल की तैयारी,
इसी तिथि को ब्रम्हा जी ने,
रची है ये सृष्टि सारी,
पतझड़ बिता रंग बसंती,
का हर दिल में हर्ष है,
ये हिन्दू नववर्ष हैं,
ये अपना नववर्ष है।।
केसरिया ध्वजा लहरेगी,
अब हर हिन्दू के घर में,
भारत माँ के जयकारे,
गूंजेंगे धरती अम्बर में,
धर्म ध्वजा फहरे दुनिया में,
करना ये संघर्ष है,
ये हिन्दू नववर्ष हैं,
ये अपना नववर्ष है।।
राम कृष्ण की धरती है,
हम इसका गौरव पहचाने,
तोड़ पश्चिमी भरम जाल को,
सभ्यता अपनी जाने,
भारत होगा विश्वगुरु,
ये ‘नरसी’ का निष्कर्ष है,
ये हिन्दू नववर्ष हैं,
ये अपना नववर्ष है।।
दुनिया भर के हिंदुस्तानी,
के मन में उत्कर्ष है,
ये हिन्दू नववर्ष है,
ये अपना नववर्ष है।।
स्वर / रचना – नरेश नरसी जी।