ये फागुन रुत है सुहानी,
चली आ राधा रानी,
खेलेंगे होली हम साथ में,
रंगों से रंगीन देखो,
सारे नजारे हैं,
देखो कितने खूबसूरत,
कितने प्यारे है,
नीले पीले लाल गुलाबी,
रंग प्यारे हैं,
तुमको जो भी प्यारे हैं,
वह रंग सारे हैं,
यह फागुन रुत है सुहानी,
चली आ राधा रानी,
खेलेंगे होली हम साथ में।।
तर्ज – अरे रे मेरी जान है राधा।
रंगों से रोशन हुआ है,
सारा ब्रज धाम,
बीत रहा वक्त,
कही हो ना जाए शाम,
आएगा तभी तो राधा,
मुझको आराम,
होली पर धमाल करेंगे,
छोड़ कर सारे काम,
यह फागुन रुत है सुहानी,
चली आ राधा रानी,
खेलेंगे होली हम साथ में।।
है बेचैन यमुना तट भी,
दीदार पाने को,
ग्वाल गोपियां रस्ता देखे,
धूम मचाने को,
फूलों की बहार है,
मौसम भी बेचैन,
तेरे मेरे साथ,
यह त्यौहार मनाने को,
यह फागुन रुत है सुहानी,
चली आ राधा रानी,
खेलेंगे होली हम साथ में।।
बार-बार यह मौसम राधा,
फिर ना आना है,
बारह महीने में फागुन,
एक बार ही आना है,
‘मंत्री’ और ‘जयंत’ ने भी,
यह माना है,
खुशियां सब को बांटने का,
यही बहाना है,
यह फागुन रुत है सुहानी,
चली आ राधा रानी,
खेलेंगे होली हम साथ में।।
ये फागुन रुत है सुहानी,
चली आ राधा रानी,
खेलेंगे होली हम साथ में,
रंगों से रंगीन देखो,
सारे नजारे हैं,
देखो कितने खूबसूरत,
कितने प्यारे है,
नीले पीले लाल गुलाबी,
रंग प्यारे हैं,
तुमको जो भी प्यारे हैं,
वह रंग सारे हैं,
यह फागुन रुत है सुहानी,
चली आ राधा रानी,
खेलेंगे होली हम साथ में।।
गायक / प्रेषक – द्वारका मंत्री देवास।
लेखक – जयंत सांखला देवास।
9425047895