ये दर्द तूने दिया है,
तो कोई बात नहीं,
ये ही वफ़ा का सिला है,
तो कोई बात नहीं,
ये दर्द तुने दिया है,
तो कोई बात नहीं।।
तर्ज – तेरी गलियों का हूँ आशिक।
किसे मजाल है के कोई,
कहे दीवाना मुझे,
किसे मजाल है के कोई,
कहे दीवाना मुझे,
ये अगर तूने कहा है,
तो कोई बात नहीं,
ये दर्द तुने दिया है,
तो कोई बात नहीं।।
ये ही बहुत है के तुम,
देखते हो साहिल से,
ये ही बहुत है के तुम,
देखते हो साहिल से,
सफीना डूब रहा है,
तो कोई बात नहीं,
ये दर्द तुने दिया है,
तो कोई बात नहीं।।
ये ही तो फिक्र है की तुम,
साथ छोड़ ना दो,
ये ही तो फिक्र है की तुम,
साथ छोड़ ना दो,
जहां ने छोड़ दिया है,
तो कोई बात नहीं,
ये दर्द तुने दिया है,
तो कोई बात नहीं।।
ये दर्द तूने दिया है,
तो कोई बात नहीं,
ये ही वफ़ा का सिला है,
तो कोई बात नहीं,
ये दर्द तुने दिया है,
तो कोई बात नहीं।।
स्वर – श्री चित्र विचित्र महाराज जी।