याद क्यूँ ना आएगी,
क्यूँ ना मुझे रुलाएगी,
याद क्यूँ ना आयेगी,
क्यूँ ना मुझे रुलाएगी,
जब तक जियूंगा,
ये अँखियाँ नीर बहाएगी।।
तर्ज – याद तेरी आएगी मुझको बड़ा।
बनके मुसाफिर मारा मारा फिरा,
मंजिले मिली ना रास्ता ना मिला,
अपनों के चक्कर में ऐसा फसा,
मेरी मजबूरियों पे जग ये हँसा,
जग ये हँसा,
मुझको क्या पता था दुनिया,
एक दिन मुझे भुलाएगी,
जब तक जियूंगा,
ये अँखियाँ नीर बहाएगी,
याद क्यूँ ना आयेगी,
क्यूँ ना मुझे रुलाएगी।।
हार के मैं आखिर जो भी करके गिरा,
देखा बगल में मेरे तू था खड़ा,
अब क्या ज़माने की परवाह मुझे,
सबकुछ मिला है मुझे पा के तुझे,
पा के तुझे,
तेरे होते अब क्या बाबा,
दुनिया मुझे डराएगी,
जब तक जियूंगा,
ये अँखियाँ नीर बहाएगी,
याद क्यूँ ना आयेगी,
क्यूँ ना मुझे रुलाएगी।।
भूल से भी ना भूल पाउँगा मैं,
जबतक जियूंगा यही गाऊंगा मैं,
‘श्याम’ कहे जो तेरा साथ मिला,
मुझको को भी एक दीनानाथ मिला,
दीनानाथ मिला,
जिस दिन मुझसे तू रूठा तो,
सांस मेरी रुक जाएगी,
जब तक जियूंगा,
ये अँखियाँ नीर बहाएगी,
याद क्यूँ ना आयेगी,
क्यूँ ना मुझे रुलाएगी।।
याद क्यूँ ना आएगी,
क्यूँ ना मुझे रुलाएगी,
याद क्यूँ ना आयेगी,
क्यूँ ना मुझे रुलाएगी,
जब तक जियूंगा,
ये अँखियाँ नीर बहाएगी।।
– Suggested By –
अनुज कुमार मीणा
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