वृन्दावन में रस की धार सखी री बरस रही भजन लिरिक्स

वृन्दावन में रस की धार,
सखी री बरस रही,
मैं तो कर सोलह श्रृंगार,
सखी री तरस रही,
वृंदावन में रस की धार,
सखी री बरस रही।।



शरद चंद्र की अमृत किरणे,

भूमण्डल पर लगी बिखरने,
चांदनी बन छाई बहार,
चहुँ ओर बरस रही,
वृंदावन में रस की धार,
सखी री बरस रही।।



तान सुरीली श्याम बजाई,

मधुबन मिल गोपी सब आई,
जीवन होगा साकार,
सखी री हरष रही,
वृंदावन में रस की धार,
सखी री बरस रही।।



अमर प्रेम भरे रसिक बिहारी,

पागल की हरिदास दुलारी,
‘गोपाली’ जीवन आधार,
करुण रस बरस रही,
Bhajan Diary,
वृंदावन में रस की धार,
सखी री बरस रही।।



वृन्दावन में रस की धार,

सखी री बरस रही,
मैं तो कर सोलह श्रृंगार,
सखी री तरस रही,
वृंदावन में रस की धार,
सखी री बरस रही।।

Singer – Surbhi Chaturvedi


Previous articleओढ़ चुनरिया न्यारी न्यारी लागे माँ भजन लिरिक्स
Next articleश्री महाकाल ऐसा वरदान दो गुणगान तुम्हारा सुनाता रहूं लिरिक्स
Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here