वृंदावन के कृष्ण मुरारी,
अब तो सुनलो अर्ज हमारी।।
द्वार पे तेरे कबसे पड़ा हूँ,
दोनों हाथ पसारे खड़ा हूँ,
अर्ज़ ये मेरी ना ठुकराना,
हे मनमोहन शरण पड़ा हूँ,
लाखों की तुमने बिगड़ी सवारी,
अब तो सुनलो अर्ज हमारी,
बृंदावन के कृष्ण मुरारी,
अब तो सुनलो अर्ज हमारी।।
ठुकरा दोगे ऐसे प्यारे,
कहाँ जाएंगे दर से तुम्हारे,
तेरे सिवा अब कौन सुनेगा,
तुम ही प्राण हो श्याम हमारे,
तेरी ही होगी रुसवाई भारी,
अब तो सुनलो अर्ज हमारी,
बृंदावन के कृष्ण मुरारी,
अब तो सुनलो अर्ज हमारी।।
हाल में ऐसे कब तक रहेंगे,
बोलो ये गम कब तक सहेंगे,
दिल का हाल हम किससे कहेंगे,
कब तक मेरे आंसू बहेंगे,
दर्शन दे दो मदन मुरारी,
अब तो सुनलो अर्ज हमारी,
बृंदावन के कृष्ण मुरारी,
अब तो सुनलो अर्ज हमारी।।
वृंदावन के कृष्ण मुरारी,
अब तो सुनलो अर्ज हमारी।।
गायक – विकाश शर्मा।
8269558226