विष्णु से जाकर यम ने यही पुकारा गंगा महिमा भजन

विष्णु से जाकर यम ने यही पुकारा,

दोहा – गरज ही अर्जुन हिंजर भयो,
तो गरजे ही गोविंद धेनु चराई,
गरजे ही द्रोपदी दासी भई,
गरजे ही भीम रसोई पकाई,
गरज बड़ी सब लोगो में अर,
गरज बिना कोई आई न जाई,
कवि गंग कहे सुण शाह अकबर,
गरज से घर गुलाम रह जाई।।
कैसी ससि बिन रेण,
कैसो भाण बिन पगड़ो,
कैसो बाप सू बेर,
कैसो भाई सू झगडों,
कैसी है नुगरा री प्रीत,
कैसो बाल सू हासो,
कैसी बूढ़ा सु आल,
कैसो बेरी घर वासो।।
बहता नाग न छेड़िए,
पूंछ पटक पाछा फिरे,
कवि गंग कहे सुण शाह अकबर,
इतरा काम तो मूर्ख करे।।
ब्राह्मण से बेर कर बलि पाताल चल्यो,
ब्राह्मण साठ हजार को मारयो।
ब्राह्मण सोख समुद्र कियो,
ब्राह्मण यादव वंश उजाड़ीयो।।
ब्राह्मण लात दी हरि ऊपर,
ब्राह्मण क्षत्रिय को मारियो।
ब्राह्मण से बेर मति करो,
ब्राह्मण से तो परमेश्वर हारयो।।



विष्णु से जाकर यम ने यही पुकारा,

यही पुकारा हां रे यही पुकारा,
गंगा ने बन्द कर दीना,
नरक का द्वारा,
मैया ने बन्द कर दीना,
नरक का द्वारा।।



लाखों पापी पृथ्वी पर रोज मरते है,

मैं क्या जाणु वे पल भर में तिरते हैं,
वो मेरे भय से जरा नहीं डरते हैं,
गंगा के गण उनकी रक्षा करते हैं,
बिना भजन किया ही,
व्हे उनका निस्तारा,
गंगा ने बन्द कर दीना,
नरक का द्वारा।।



जब मेरे दूत पापी को जावे पकड़ने,

गंगा के गण आते हैं उनसे लड़ने,
देख देख दूतों से लगे अकड़ने,
मारे बाण वो तन बीच लगे हैं गड़ने,
मैं तो लड़ लड़ के वा से,
लाख लड़ाई हारा,
गंगा ने बन्द कर दीना,
नरक का द्वारा।।



गंगा के सौ योजन पे एक नगर था,

उस नगरी में ऊंचे पापी का घर था,
वो पाप कर्म कर के रोज गुजरता,
मर गया उसी के पड़ा एक वस्त्र था,
गंगा के धोये उसी ने,
उसको तारा,
गंगा ने बन्द कर दीना,
नरक का द्वारा।।



चाहे हिन्दू मुस्लिम होवे तुर्क कसाई,

चाहे हरिजन धोबी अटफोड़ा अन्याही,
गंगा की लहर जो दूर सू दिखलाई,
फिर अंत समय में उसने मुक्ति पाई,
दर्शण करने से तिरे महा हत्यारा,
गंगा ने बन्द कर दीना,
नरक का द्वारा।।



ये सुणी बात विष्णु जी यम से बोले,

गंगा की महिमा आँख मूंद कर खोले,
इस महतो रे गंगा के दर्शण करले रे,
वो बैकुंठा में सदा ही झूला झूले,
वहाँ तेरा क्या वश,
चलता नी मेरा,गंगा ने बन्द कर दीना,
नरक का द्वारा।।



ये सुणी बात यमराजा घर को धाये,

कछु हँसे कछु वो मन ही मन शरमाये,
कछु मन मार गंगा को शब्द सुणाए,
गंगा मैया थोड़े दिन अब ही रह पाये,
केवे बनारसी अब जम का,
चले ना चारा,
गंगा ने बन्द कर दीना,
नरक का द्वारा।।



विष्णु से जाकर यम ने यही पुकारा,

यही पुकारा हां रे यही पुकारा,
गंगा ने बन्द कर दीना,
नरक का द्वारा,
मैया ने बन्द कर दीना,
नरक का द्वारा।।

गायक – श्याम वैष्णव जी।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार, आकाशवाणी सिंगर।
9785126052


Previous articleहाल सुनलो मेरा तुम अगर सांवरे भजन लिरिक्स
Next articleदेखो देखो भेरू भगता ने आया है दर्शन करवा ने
Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here