उठ जाग ऐ रूह मेरी तुझे तेरे पियूँ ने जगाया है भजन लिरिक्स

उठ जाग ऐ रूह मेरी,
तुझे तेरे पियूँ ने जगाया है।।



बहुत गमाए दिनड़े तूने,

गल गल के गफलत में,
वक्त गुजारा सारा अपना,
तूने इस नफरत में,
कब जागेगी उठ के अब तू,
अपनी उस खिलवत में,
कायम तेरा ठोर ठिकाना,
तुझको बतलाया है,
उठ जाग ऐं रूह मेरी,
तुझे तेरे पियूँ ने जगाया है।।



भूल जा अब ये कुटुंब कबीले,

जिनका रूप है सपना,
गरज के मारे तेरे बने है,
मतलब इनको अपना,
कौन तुझे वो डगर दिखाए,
जिसमे तेरा भला है,
तूने अपना आप है पाना,
कोई ना संग चला है,
उठ जाग ऐं रूह मेरी,
तुझे तेरे पियूँ ने जगाया है।।



तुझको साँचा साहेब मिलया,

तेरा प्राण पिया है,
जामे वाहे दत देते तूने,
संग झूठों का किया है,
ऐसी बनी कोई तुझपे तूने,
उनसे कुछ ना लिया है,
क्या बतलाएगी तूने ये,
जीवन कैसे जिया है,
उठ जाग ऐं रूह मेरी,
तुझे तेरे पियूँ ने जगाया है।।



उठ जाग ऐ रूह मेरी,

तुझे तेरे पियूँ ने जगाया है।।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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