ऊँचा ऊँचा डूंगर पे,
जोगणिया थारा देवरा,
ध्वजा फरुखे आसमान,
दरसण दीजो रे।।
कुमारी आई है,
जोगणिया थारे देवरे,
कलस पुराया थारे पाठ,
दरसण दीजो रे।।
दरजी आयो हे,
जोगणिया थारे जातरी,
पेरो पेरो दकनी चिर,
दरसण दीजो रे।।
सोनी तो आयो हे,
जोगणिया थारे द्वार पे,
लायो लायो सोना वालो हार,
दरसण दीजो रे।।
मालिडो ऊबो हे,
जोगणिया थारे बारणे,
भेट करे फूल माल,
दरसण दीजो रे।।
गावे वजावे हे,
जोगणिया थारे देवरे,
कोई धरम तंवर यश गाये,
शरणा में राखो हे।।
ऊँचा ऊँचा डूंगर पे,
जोगणिया थारा देवरा,
ध्वजा फरुखे आसमान,
दरसण दीजो रे।।
लेखक और गायक – धर्मेंद्र तंवर उदयपुर।
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