उज्जैन नगरिया के राजा,
बाबा महाकाल महाराजा,
शिव भोले है वरदानी,
तू इनकी शरण मे आजा,
तू चल चल चल चल,
बाबा तुझे बुलावे है,
चल महाकाल के धाम,
कावडिया जावे है,
उज्जैन नगरीया के राजा,
बाबा महाकाल महाराजा।।
तर्ज – तेरी आँखिया को यो।
शिप्रा के पावन तट पर,
बना है इनका धाम,
ज्योतिर्लिंग के रूप में,
बाबा महाकाल है नाम,
अद्धभुत रूप प्रभु का,
भस्मी रमाये तन पे,
बाबा भांग धतूरे का भोजन,
है विषधर साँप बदन पे,
तू चल चल चल चल,
बाबा तुझे बुलावे है,
चल महाकाल के धाम,
कावडिया जावे है,
उज्जैन नगरीया के राजा,
बाबा महाकाल महाराजा।।
त्रिलोकी के नाथ तेरे,
कोड़ी नही खजाने में,
तीन लोक बस्ती में बसे,
प्रभु आप बसे वीराने में,
ये भक्तो पे खुश होकर,
ना जाने क्या दे डाले,
एक लोटा जल चढ़ाकर,
शिव भोले को मनाले,
तू चल चल चल चल,
बाबा तुझे बुलावे है,
चल महाकाल के धाम,
कावडिया जावे है,
उज्जैन नगरीया के राजा,
बाबा महाकाल महाराजा।।
समय बडा अनमोल,
जरा सोच समझ ‘दिलबर’,
चल महाकाल के द्वारे,
तुझे बुला रहे शिव संकर,
भक्तो के संग में चलकर,
नागेश कमलेश भी जाये,
बाबा महाकाल को जाकर,
श्रद्धा से कावड़ चढ़ाये,
तू चल चल चल चल,
बाबा तुझे बुलावे है,
चल महाकाल के धाम,
कावडिया जावे है,
उज्जैन नगरीया के राजा,
बाबा महाकाल महाराजा।।
उज्जैन नगरिया के राजा,
बाबा महाकाल महाराजा,
शिव भोले है वरदानी,
तू इनकी शरण मे आजा,
तू चल चल चल चल,
बाबा तुझे बुलावे है,
चल महाकाल के धाम,
कावडिया जावे है,
उज्जैन नगरीया के राजा,
बाबा महाकाल महाराजा।।
गायक – नागेश कमलेश कांठा।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया “दिलबर”
नागदा जक्शन म.प्र.।। मो.9907023365