है ऊबी मारा साहिबा रे,
सरवरिया वाली पाळ।
दोहा – सायब तेरी सायबी,
सब घट रही समाय,
मेहंदी तेरे पान में तो,
लाली रही छुपाए,
साहब तुझ में यूं बसे,
जो तैली में तिल,
ज्ञान की घाणी फिरायले,
फिर देख ले इसका खेल।
है ऊबी मारा साहिबा रे,
सरवरिया वाली पाळ,
ओ मारा आलम राजा रे ए हां,
सत वचननो री बंधी रे,
हरी थारी वाट जोवु हां,
मुंह तेल सडोली रे,
सांवरिया री वाट जोवु हां।।
हे जी दनडा वेगीयाता दो ने चार,
ओ मारा आलम राजा रे ए हां,
हे जुग रे सोतोड़ो बाई रे व्रतियो ओ हां,
घस गई मारी आंगलीया री रेख,
ओ मारा आलम राजा रे ए हां,
हे दनडा गणता रा पांचे पेरुआ हां,
घरे परा पधारो रे मारा आलम राजा रे ए हां,
सत वचननो री बंधी रे,
हरी थारी वाट जोवु हां,
मुंह तेल सडोली रे,
सांवरिया री वाट जोवु हां।।
करु परो मुंह मालन वालों वेश,
ओ मारा आलम राजा रे ए हां,
मुंह मालन वेइ ने रे हर थारे फुलडा लावु हां,
मालणकी वेई ने रे सांवरिया रे हेवरो लावु हां,
सत वचननो री बंधी रे,
हरी थारी वाट जोवु हां,
मुंह तेल सडोली रे,
सांवरिया री वाट जोवु हां।।
करु परो मुंह गुर्जर वालों वेश,
ओ मारा आलम राजा रे ए हां,
मुंह गुर्जर वेई ने रे हर थारे दुध लावु हां,
वउ परी घोडलीये असवार,
ओ मारा आलम राजा रे ए हां,
असवार वे ने रे काल ने मारी लेवो हां,
घरे परा पधारो रे मारा आलम राजा रे ए हां,
सत वचननो री बंधी रे,
हरी थारी वाट जोवु हां,
मुंह तेल सडोली रे,
सांवरिया री वाट जोवु हां।।
करु परो मुंह जोगण वालों वेश,
ओ मारा आलम राजा रे ए हां,
मुंह जोगण वेइ ने रे सारो जग ढुंढे लेवु हां,
जोगणकी वेइ ने रे हर थाने ढुंढे लेवु हां,
लिख दु कागदीया दो ने चार,
ओ मारा आलम राजा रे ए हां,
भणीयोडा वो तो रे कागद वोस लेणा हां,
पढियोडा वो तो रे कागद वोस लेणा हां,
बोलिया रूपादे रावल ने घरनार,
ओ मारा आलम राजा रे ए हां,
कोई सुख-दुख मेलो रेगुरुरा देवरो ओ हां,
भव भवरो मेलो रे गुरु रा देवरो ओ हां,
सत वचननो री बंधी रे,
हरी थारी वाट जोवु हां,
मुंह तेल सडोली रे,
सांवरिया री वाट जोवु हां।।
उबी म्हारा साहिबा रे,
सरवरिया वाली पाळ,
ओ मारा आलम राजा रे ए हां,
सत वचननो री बंधी रे,
हरी थारी वाट जोवु हां,
मुंह तेल सडोली रे,
सांवरिया री वाट जोवु हां।।
प्रेषक – सुरेश सुथार।
(गांगुद्रा-गुजरात)
7698633238