तुमसे मिलकर,
बाबोसा मुझको,
और भी कुछ,
नही भाता है।।
एक आस तू ही,
विश्वास तू ही,
तुझपे ही उम्मीदे ठहरी है,
आ पास मेरे,
रहूं साथ तेरे,
तुम बिन हर,
ख्वाहिश अधूरी है।।
बाबोसा एक तुम से ही,
मैंने जोड़ लिया,
दिल का नाता है,
दिल का नाता है,
तुमसे मिलकर,
बाबा मुझको,
और भी कुछ,
नही भाता है,
ये कैसा नाता है,
देखकर तुमको,
मेरे बाबोसा,
मेरे दिल को,
चैन आता है,
चैन आता है,
तुमसे मिलकर,
बाबा मुझको।।
हम तुम्हे भूल जाये कैसे,
मेरे बाबोसा,
हम तो है बस तेरे ही भरोसे,
हम तुम्हे भूल जाये कैसे।।
इन सांसो के हकदार तुम हो,
इस दिल में तेरा,
नाम लिखा है जबसे
हम तुम्हे भूल जाये कैसे।।
‘दिलबर’ हम चाहते तुमको ऐसे,
मरने वाला कोई,
जिन्दगी चाहता हो जैसे,
हम तुम्हे भूल जाये कैसे।।
गायिका – आयुषी पाँचाल नागदा।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365