तुम्हारी फितरत है श्याम ऐसी की दीन दुर्बल के काम आना

तुम्हारी फितरत है श्याम ऐसी,
की दीन दुर्बल के काम आना,
दुःखों से लड़कर जो गिर पड़े है,
सहारा देकर उन्हें उठाना,
तुम्हारी फितरत हैं श्याम ऐसी,
की दीन दुर्बल के काम आना।।

तर्ज – तुम्हारी नज़रों ने।



कभी ना सुख की ही सांस ली है,

दबे रहे जो गमो के नीचे,
तुम ऐसे होठो को फिर ख़ुशी दो,
जो भूल बैठे है मुस्कुराना,
तुम्हारी फितरत हैं श्याम ऐसी,
की दीन दुर्बल के काम आना।।



पढ़े है मंदिर शिवालय सूने,

बसे हो तुम बेकसों के दिल में,
किसी किसी को ही बस खबर है,
जहाँ तुम्हारा है ये ठिकाना,
तुम्हारी फितरत हैं श्याम ऐसी,
की दीन दुर्बल के काम आना।।



हो लाख दुश्मन ये वक़्त उसका,

या गर्दिशो के पहाड़ टूटे,
तू खुद ही जिसकी करे हिफाजत,
नहीं है मुमकीन उसे मिटाना,
Bhajan Diary Lyrics,
तुम्हारी फितरत हैं श्याम ऐसी,
की दीन दुर्बल के काम आना।।



तुम्हारी फितरत है श्याम ऐसी,

की दीन दुर्बल के काम आना,
दुखो से लड़कर जो गिर पड़े है,
सहारा देकर उन्हें उठाना,
तुम्हारी फितरत हैं श्याम ऐसी,
की दीन दुर्बल के काम आना।।

Singer – Mukesh Kumar Meena


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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