तू सत्संग नौका में बैठ सुवा चाले तो भजन लिरिक्स

तू सत्संग नौका में बैठ,
सुवा चाले तो।।

दोहा – रामचरण रुल झावतो,
मिलती नहीं सत्संग,
कठिन त्याग वैराग को,
मारे गुरु लगायो रंग।
गुरु लगावो रंग,
उतारियो उतरे नाहीं,
दीनो आत्म ज्ञान,
रंगोयो रेणी के माहीं।
कुछ कचाई नार की,
बरती नहीं कुसंग
राम चरण रूल झावतो,
मिलती नहीं सत्संग।
सत्संग से सुख उपजे,
कुसंगत गुण जाय,
सत्संग के प्रताप से,
काग भी हंस हो जाय।



हां रै सुवा चाले तो,

तू सत्संग नौका में बैठ,
सुवा चाले तो।।



सतगुरु जी से टिकट कटा ले,

अमरापुर को पास बना ले,
बीरा मत ना होवे लेट,
सुवा रे चाले तो,
थु सत्संग नोका में बैठ,
सुवा रे चाले तो।।



कर्णधार सतगुरु निज नावा,

दुर्लभ ज्ञान सुर्लभ कर पावा,
गुरु मुक्ति मेल देवे ठेठ,
सुवा रे चाले तो,
थु सत्संग नोका में बैठ,
सुवा रे चाले तो।।



मानव तन मुश्किल से पायो,

सत री संगत ने क्यों बिसरायो,
थारा बंद हो जासी गेट,
सुवा रे चाले तो,
थु सत्संग नोका में बैठ,
सुवा रे चाले तो।।



वा घर गया रे लौट नहीं आया,

नित्य प्रकाश परम पद पाया,
तीन लोग को सेठ,
सुवा रे चाले तो,
थु सत्संग नोका में बैठ,
सुवा रे चाले तो।।



हां रै सुवा चाले तो,

तू सत्संग नोका में बैठ,
सुवा चाले तो।।

गायक – भगवान दास जी।
प्रेषक – मदन मेवाड़ी।
8824030646


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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