तू मोटी जगदम्बा मारी,
तू मोटी जगदम्बा माँ,
ओ जग छलीया अनक जग छलीया,
है झगड़ा से न्यारी माँ,
तू मोटी जगदम्बा मारी।।
अरे सतयुग में माँ अमिया केवाई,
शिव शंकर घर नारी ओ,
देव दानव ने दोई लडाया,
है झगड़ा से न्यारी माँ,
तू मोटी जगदम्बा मारी।।
अरे त्रेतायुग मे सीता केवाई,
रामचंद्र घर नारी माँ,
राम रावण ने दोई लडाया,
है झगड़ा से न्यारी माँ,
तू मोटी जगदम्बा मारी।।
अरे द्वापरयुग में बनी द्रोपदा,
पांडवों घर नारी माँ,
कैरव पांडव ने दोई लडाया,
है झगड़ा से न्यारी माँ,
तू मोटी जगदम्बा मारी।।
अरे कलयुग मे मां बनी कालका,
कालंका घर नारी माँ,
अरे शंकर टांक जगदम्बा रे शरने,
माताजी महीमा गाई माँ,
है झगड़ा से न्यारी माँ,
तू मोटी जगदम्बा मारी।।
तू मोटी जगदम्बा मारी,
तू मोटी जगदम्बा माँ,
ओ जग छलीया अनक जग छलीया,
है झगड़ा से न्यारी माँ,
तू मोटी जगदम्बा मारी।।
गायक – शंकर टांक।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818