तू मत कर रे अभिमान ये जीवन चार दिन का

तू मत कर रे अभिमान,
ये जीवन चार दिन का है,
तू कौन है रे इँसान,
करले रे खुद की जरा पहचान,
ये जीवन चार दिन का है।।

तर्ज – तेरे द्वार खड़ा भगवान।



हीरा सा ये तन है पाया,

पर तू समझ न पाया,
फिर पछिताएगा तू बन्दे,
जल जाए जब काया रे,
जल जाए जब काया,
तू खुद है सकल गुण खान,
करले रे खुद की जरा पहचान,
ये जीवन चार दिन का है।।



हीरे मोती दिए गुरू ने,

अब तो आँखे खोल,
स्वाँस स्वाँस मे रतन जड़ा है,
मत माटी मे रोल रे,
मत माटी मे रोल,
सब छोड़के तू अभिमान,
जपले रे प्यारे प्रभू का नाम,
करले रे खुद की जरा पहचान,
ये जीवन चार दिन का है।।



न कुछ साथ मे आया बन्दे,

न कुछ सँग मे जाए,
आज समय है,
भजले हरि को,
वर्ना फिर पछिताए रे,
वर्ना फिर पछिताए,
इस जग का कुछ सामान,
नही आएगा रे तेरे काम,
करले रे खुद की जरा पहचान,
ये जीवन चार दिन का है।।



तू मत कर रे अभिमान,

ये जीवन चार दिन का है,
तू कौन है रे इँसान,
करले रे खुद की जरा पहचान,
ये जीवन चार दिन का है।।

– भजन लेखक एवं प्रेषक –
शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923

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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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