ठिकाना है नही पल का करो सुमिरन हरि का जी

ठिकाना है नही पल का,
करो सुमिरन हरि का जी,
अमर हो गए जिसे भज कर,
कबीरा मीरा और शबरी,
करो सुमिरन हरि का जी।।

तर्ज – जरा नजरो से कहदो जी।



नही कुछ काम है अपना,

सिवा हरि नाम के जपना,
मगर सँतो का कहना है,
भजन बिन है जगत सपना,
करो युक्ती कोई ऐसी,
ये स्वाँसा खाली न जाए,
करो सुमिरन हरि का जी।।



नही कोई सहारा,

फँसा है बीच तू धारा,
पुरानी कश्ती है तेरी,
मगर बड़ी तेज है धारा,
शरण मे आ प्रभू की तो,
किनारा तुझको मिल जाए,
करो सुमिरन हरि का जी।।



अगर है नाम को पाया,

सफल करले तू ये काया,
यहाँ जिस काम से आया,
उसी को तू ने बिसराया,
करो सुमिरन निरँतर मन,
बुलावा किस दिन आ जाए,
करो सुमिरन हरि का जी।।



ठिकाना है नही पल का,

करो सुमिरन हरि का जी,
अमर हो गए जिसे भज कर,
कबीरा मीरा और शबरी,
करो सुमिरन हरि का जी।।

– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923

वीडियो उपलब्ध नहीं।


 

Previous articleऐ श्याम तेरा मेरे घर पे सदा आना जाना बना रहे भजन लिरिक्स
Next articleभूल उसे बैठा है जग में नाम रतन जो पाया है
Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here