अइंया आंख ना दिखाओ,
थाने पाप लागे,
थारे सेठ जी रो सेठ,
म्हारो बाप लागे।।
मिनख जमारो,
दोरो पायो,
जग में बस,
अभिमान कमायो,
ओ झूठे रोब ने,
दिखवान में के धाक लागे,
थारें सेठ जी रो सेठ,
म्हारो बाप लागे।।
श्याम की माया,
श्याम ही जाने,
रंक ने राजा,
पल में बनावे,
थारे म्हारे में के,
अलग अलग छाप लागे,
थारें सेठ जी रो सेठ,
म्हारो बाप लागे।।
बस इतनी सी,
बात जानलो,
‘शुभम रूपम’ थे,
गाठ बांध लो,
सागे सागे सबके,
चालन में बड़ी शान लागे,
थारो म्हारो सबको सेठ,
सांवरो सबको बाप लागे।।
अइंया आंख ना दिखाओ,
थाने पाप लागे,
थारे सेठ जी रो सेठ,
म्हारो बाप लागे।।
स्वर – शुभम रूपम।
प्रेषक – हरीश गोयल।
9375890614