थारा घर में कमी काहे की,
कई कम पड़ जावे पूंजी रे,
थाने या कई सूझी रे,
राधा का रसिया,
राधा के रसिया रे,
म्हारे हिवडे बसिया,
थाने या कई सूझी रे,
राधा का रसिया।।
राज पाठ मुर्खा ने दीना,
और पंडित फिरे भिखारी,
ठाट पाट वैश्या ने दीन्हो,
ठाट पाट वैश्या ने दीन्हो,
वा प्रतिव्रता दुखियारी,
जाणे नहीं दूजी रे,
राधा का रसिया,
थाने या कईं सूझी रे,
राधा का रसिया।।
सबला की तू सुणे आरजू,
नमला ने देवे टाला,
दुखियारा के दस दस बेटा,
दुखियारा के दस दस बेटा,
मोटा घरा के ताला,
जाके कोष की कुंजी रे,
राधा का रसिया,
थाने या कईं सूझी रे,
राधा का रसिया।।
मुर्गा ने बहुरंगा बणायो,
और कोयल काली कोर,
लोट पोट कायर ने बणायो,
लोट पोट कायर ने बणायो,
और शूरवीर कमजोर,
वो रण में झूझि रे,
राधा का रसिया,
थाने या कईं सूझी रे,
राधा का रसिया।।
पैसा वाला ने सुम बणायो,
और गरीब ने दातार प्रभु जी,
गरीब थासु नित उठ मांगे,
गरीब थासु नित उठ मांगे,
देवो सांवरिया सरकार,
राधा का रसिया,
थाने या कईं सूझी रे,
राधा का रसिया।।
कहे ‘भैरव’ पाप्या ने तू तो,
दान देवे अनमाँग्या,
भक्त भिखारी खड़ा द्वार पर,
भक्त भिखारी खड़ा द्वार पर,
मांग मांग ने थाक्या,
अतरो कई मुंजी रे,
राधा का रसिया,
थाने या कईं सूझी रे,
राधा का रसिया।।
थारा घर में कमी काहे की,
कई कम पड़ जावे पूंजी रे,
थाने या कई सूझी रे,
राधा का रसिया,
राधा के रसिया रे,
म्हारे हिवडे बसिया,
थाने या कई सूझी रे,
राधा का रसिया।।