तेरी नौका में जो बैठा,
वो पार हो गया,
जो लिया था-२,
नाम भव से पार हो गया,
तेरी नौका मे जो बैठा,
वो पार हो गया।।
तर्ज – मेरा जीवन कोरा कागज।
जिस पे हो तेरी दया प्रभु,
दर वो ही आए,
जिस पे तेरी मौज हो प्रभु,
भव से तर जाए,
जो शरण मे-२,
आया वो भव पार हो गया,
तेरी नौका मे जो बैठा,
वो पार हो गया।।
तैरना आता नही प्रभू,
क्या करूँ अब मै,
अपनी नैया मे बिठालो,
डूब रहा भव मै,
थक गया-२,
अब मै प्रभू लाचार हो गया,
तेरी नौका मे जो बैठा,
वो पार हो गया।।
भव की भँवरो से प्रभू,
मुझको लगता है डर,
ऊँचि नीची आड़ी टेड़ी,
उठ रही है लहर,
डूबे न जिस पर प्रभू,
तू दयाल हो गया,
तेरी नौका मे जो बैठा,
वो पार हो गया।।
तेरी नौका में जो बैठा,
वो पार हो गया,
जो लिया था-२,
नाम भव से पार हो गया,
तेरी नौका मे जो बैठा,
वो पार हो गया।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
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