तेरी दया के किस्से,
दुनिया को मैं सुनाऊ।
श्लोक – सर झुकाओगे अगर,
माँ के दरबार के आगे,
ना कभी हाथ फैलाना पड़ेगा,
किसी साहूकार के आगे।
तेरी दया के किस्सें,
दुनिया को मैं सुनाऊ,
जियूँ जब तलक भवानी,
तेरे ही गीत गाउँ।।
तर्ज – मुझे इश्क़ है तुझी से
जितना भी तेरे दर पे,
सर को झुकाया मेने,
उतना ही ऊँचा खुद को,
दुनिया में पाया मेने,
फिर क्यों भला किसी को,
दुनिया में आजमाऊँ,
जियूँ जब तलक भवानी,
तेरे ही गीत गाउँ।।
तू ही ज्योत बन समाई,
हर एक दिल के अंदर,
तेरी ही महिमा गायें,
धरती गगन समंदर,
शक्ति अपार तेरी,
कैसे मैं पार पाऊं,
जियूँ जब तलक भवानी,
तेरे ही गीत गाउँ।।
हाथो में तेरे डोरी,
हर खोटे हर खरे की,
तुझको खबर है “साहिल”
सबके भले बुरे की,
तुमसे छुपा ना कुछ भी,
“लख्खा” तुमसे क्या छुपाऊं,
जियूँ जब तलक भवानी,
तेरे ही गीत गाउँ।।
तेरी दया के किस्से,
दुनिया को मैं सुनाऊ,
जियूँ जब तलक भवानी,
तेरे ही गीत गाउँ।।