तेरे मंदिर के आगे,
मेरा घर बन जाए,
जब खिड़की खोलुं तो,
तेरा दर्शन हो जाए।।
जब होगी आरती तेरी,
घंटी सुनाई देगी,
जब रोज सवेरे तेरी,
मुर्त दिखाई देगी,
जब भजन करे कोई,
हमको भी सुन जाए,
जब खिड़की खोलुं तो,
तेरा दर्शन हो जाए।।
मैं आते जाते बाबा,
तुमको प्रणाम करुंगा,
जैसी होगी मेरे लायक,
वैसी ही सेवा करुंगा,
तेरी सेवा करने से,
मेरी किस्मत खुल जाए,
जब खिड़की खोलुं तो,
तेरा दर्शन हो जाए।।
साथ रहेंगें दोनों,
ये आना जाना रहेगा,
बनवारी बाबा अपना,
बस एक ठिकाना रहेगा,
फिर मौज करें दोनों,
जल्दी वो दिन आए,
जब खिड़की खोलुं तो,
तेरा दर्शन हो जाए।।
चाहे कितनी दुनिया हमको,
ये ताना बाना मारे,
लेकिन बस मेरा मन तो,
तेरा नाम पुकारे,
फिर शिव मंडल तेरा,
गुण गाता जाए,
जब खिड़की खोलुं तो,
तेरा दर्शन हो जाए।।
तेरे मंदिर के आगे,
मेरा घर बन जाए,
जब खिड़की खोलुं तो,
तेरा दर्शन हो जाए।।
गायक – नरेंद्र कौशिक जी।
प्रेषक – राकेश कुमार खरक जाटान(रोहतक)
9992976579