तीन बार भोजन भजन इक बार भजन लिरिक्स

तीन बार भोजन,
भजन इक बार,
उसमे भी आते है,
विघन हजार।।

तर्ज – सावन का महीना।



मन करता है मैं,

गंगा नहाऊँ,
गंगा नहाऊँ,
में जमुना नहाऊँ,
गंगा जाते जाते मुझको,
आ गया बुखार,
उसमे भी आते है,
विघन हजार।।



मन करता है मैं,

दर्शन को जाऊँ,
दर्शन को जाऊँ मैं,
माला जप आऊँ,
माला जपते जपते देखो,
आ गए रिश्तेदार,
उसमे भी आते है,
विघन हजार।।



मन करता है मैं,

दान कर आऊँ,
दान कर आऊँ मैं,
धरम कर आऊँ,
बड़ा है परिवार,
देता ना कोई उधार,
उसमे भी आते है,
विघन हजार।।



मन करता है मैं,

कथा सुन आऊँ,
कथा सुन आऊँ में,
गीता पढ़ आऊँ,
गीता पढ़ते पढ़ते,
नींद आ गई कई बार,
उसमे भी आते है,
विघन हजार।।



तीन बार भोजन,

भजन इक बार,
उसमे भी आते है,
विघन हजार।।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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