स्वाँस बीती जाए उमर बीती जाए भजन

स्वाँस बीती जाए,
उमर बीती जाए,
काहे मन तेरी,
समझ नही आए।।

तर्ज – मार दिया जाए।



ढूढै सतसँग मे नित तू बहाने,

ढूढे क्यो न गुरू के खजाने,
जिसके माया हो घर,
उसको मारे फिकर,
नही नीदँ आए,
स्वाँस बीति जाए,
उमर बीती जाए,
काहे मन तेरी,
समझ नही आए।।



मुट्ठी बाँधी तू ने बानर सी,

क्या करदी दशा चादर की,
खूँटे से खुद बँधा,
कहे रस्ता दिखा,
नही शर्म आए,
स्वाँस बीति जाए,
उमर बीती जाए,
काहे मन तेरी,
समझ नही आए।।



छोड़दे अब सभी उलझनो को,

क्यो लजाए गुरू के यतनो को,
आदतो से तेरी,
हरकतो से तेरी,
नैया डूब जाए,
स्वाँस बीति जाए,
उमर बीती जाए,
काहे मन तेरी,
समझ नही आए।।

– भजन लेखक एवं प्रेषक –
शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923

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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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