सुरता पकड़ चम्पा री डाल भजन लिरिक्स

सुरता पकड़ चम्पा री डाल,

दोहा – सोहंग शब्द प्रकाशियो,
गुरु भेद दियो भरपूर,
कर्म कटिया सांसा मिटिया,
घट बीच उगो सुर।



सुरता पकड़ चम्पा री डाल,

सुहागन क्यों रे खड़ी,
सुरता काई थारो पियो परदेश,
के थाने सासु रे लड़ी।।



सुरता चलियो जा रे मूर्ख गिवार,

थासू मारे के रे पड़ी,
सुरता पियो मारो गयो परलोक,
संदेशो लिया रे खड़ी,
सुरता पकड़ चंपा री डाल,
सुहागन क्यों रे खड़ी।।



सुरता पीयूजी गया सतलोक,

थारो के लेर गया,
सुरता जुड़ गया सजड किवाड़,
कुच्या सारी लेर गया,
सुरता पकड़ चंपा री डाल,
सुहागन क्यों रे खड़ी।।



सुरता धरा गगन अध बीच,

भवँर दोय पाखिया,
सुरता पीयूजी मिलवा रो घणो कोड,
फरुखे दोई आखिया,
सुरता पकड़ चंपा री डाल,
सुहागन क्यों रे खड़ी।।



सुरता चावल सु भरी परात,

ऊपर धरी आरसी,
सुरता जिम कोई संत सुजान,
लखे हर री पारसी,
सुरता पकड़ चंपा री डाल,
सुहागन क्यों रे खड़ी।।



सुरता चारु पाया दिवलो संजोय,

मंदिरिया में सोवती,
सुरता पिया बिना लागे सुने सेज,
नजर भर जोवती,
सुरता पकड़ चंपा री डाल,
सुहागन क्यों रे खड़ी।।



सुरता इन सरवरिया री पाल,

हंसा दोनु पावणा,
सुरता सत सत भणे कबीर,
फेर नही आवना,
सुरता पकड़ चंपा री डाल,
सुहागन क्यों रे खड़ी।।



सुरता पकड़ चंपा री डाल,

सुहागन क्यों रे खड़ी,
सुरता काई थारो पियो परदेश,
के थाने सासु रे लड़ी।।

गायक – श्यामनिवास पिलोवनी।
9983121148


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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