सुनले कन्हैया अर्जी हमारी,
तारो ना तारो ये है,
मर्ज़ी तुम्हारी,
सुन ले कन्हैया।।
तर्ज – सागर किनारे दिल ये पुकारे।
हमपे क्या बीती,
कैसे बताए,
किस दौर से गुज़रे,
कैसे सुनाए,
तुम को पता है हाल मुरारी,
सुन ले कन्हैया अर्जी हमारी,
तारो ना तारो ये है,
मर्ज़ी तुम्हारी,
सुन ले कन्हैया।।
लाज पे आँच बाबा,
आने ना पाए,
जाए तो जान जाए,
आन ना जाए,
सारा जमाना इसका शिकारी,
सुन ले कन्हैया अर्जी हमारी,
तारो ना तारो ये है,
मर्ज़ी तुम्हारी,
सुन ले कन्हैया।।
लाज की भिक्षा,
झोली में दे दो,
भटक रहा हूँ,
शरण में ले लो,
दर पे खड़ा है तेरा भिखारी,
सुन ले कन्हैया अर्जी हमारी,
तारो ना तारो ये है,
मर्ज़ी तुम्हारी,
सुन ले कन्हैया।।
जो भी कहोगे वो ही करूँगा,
जैसे रखोगे वैसे रहूँगा,
तुझपे भरोसा मेरा है भारी
सुन ले कन्हैया अर्जी हमारी,
तारो ना तारो ये है,
मर्ज़ी तुम्हारी,
सुन ले कन्हैया।।
सुनले कन्हैया अर्जी हमारी,
तारो ना तारो ये है,
मर्ज़ी तुम्हारी,
सुन ले कन्हैया।।
बहुत ही आनंद दायक। शब्दों की सुंदर रचना।आवाज का अद्भुत संगम।