सीता सीता पुकारे प्रभु वन में भजन लिरिक्स

सीता सीता पुकारे प्रभु वन में,
कभी कलियों में ढूंढे कभी उपवन में,
सीता सीता पुकारें प्रभु वन में।।



पूछे पेड़ों से प्रभु जी सीता देखी है,

कभी पत्तों से पूछे फूल जैसी है,
ऐसी ज्वाला जले मेरे तन मन में,
सीता सीता पुकारें प्रभु वन में।।



बोलो बोलो रे पहाड़ो बोलो झरना नदी,

मेरी जनक दुलारी तुमने देखी है कहीं,
उसे खोजें कहाँ बड़ी उलझन में,
सीता सीता पुकारें प्रभु वन में।।



मिले सीता के आभूषण प्रभु को पथ में,

जिन्हें फेंके थे सीता ने बांध भूतल में,
कभी हाथों में रखें कभी नयन में,
सीता सीता पुकारें प्रभु वन में।।



कहा लक्ष्मण से प्रभु जी जरा अनमानो,

क्या ये सीता के आभूषण ज़रा पहचानो,
थोड़ा संशय सा है भैया मेरे मन में,
सीता सीता पुकारें प्रभु वन में।।



कहा लक्ष्मण ने ‘राजेंद्र’ कैसे समझाऊ,

माँ की देखी न मूरत कैसे बतलाऊँ,
सदा ध्यान रहा माँ के चरणों में,
सीता सीता पुकारें प्रभु वन में।।



सीता सीता पुकारे प्रभु वन में,

कभी कलियों में ढूंढे कभी उपवन में,
सीता सीता पुकारें प्रभु वन में।।

गीतकार / गायक – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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