श्याम सुन्दर के जो है पुजारी,
प्रीत उनसे लगाए हुए है,
प्रीत उनसे लगाई हुए है,
तोड़ कर झूठे बंधन जगत के,
तोड़ कर झूठे बंधन जगत के,
प्रीत उनसे लगाए हुए है,
श्याम सुन्दर के जो है पुजारी,
उनको मन में बसाए हुए है,
श्याम सुन्दर के जो है पुजारी।।
प्रेम से विष को भी पी लिया था,
भेद मीरा ने जब पा लिया था,
भेद मीरा ने जब पा लिया था,
विष के प्याले में भी श्याम सुंदर,
विष के प्याले में मुरली मनोहर,
अपना आसन लगाए हुए है,
श्याम सुन्दर के जो हैं पुजारी,
उनको मन में बसाए हुए है,
श्याम सुन्दर के जो है पुजारी।।
द्रोपदी ने कहा कौरवों से,
चिर मेरा ये बढ़ता रहेगा,
चिर मेरा ये बढ़ता रहेगा,
मेरे आँचल के धागों में आकर,
श्याम सुंदर समाए हुए है,
श्याम सुन्दर के जो हैं पुजारी,
उनको मन में बसाए हुए है,
श्याम सुन्दर के जो है पुजारी।।
सुर बोला सुनो साफ कह दूँ,
मन की आँखो से तुमको मैं देखूं,
मन की आँखो से तुमको मैं देखूं,
इसलिए नयन गोपाल मैने,
भेट तुमको चढ़ाए हुए है,
श्याम सुन्दर के जो हैं पुजारी,
उनको मन में बसाए हुए है,
श्याम सुन्दर के जो है पुजारी।।
सदियो से तेरा हूँ दीवाना,
ये जनम जनम का फेरा है,
ये जनम जनम का फेरा है,
एक तेरी साँवरी सूरत ने,
ये दिल दीवाना घेरा है,
ये दिल दीवाना घेरा है,
नंद लाल तेरे दीदार बिना
इस दिल में हुआ अंधेरा है,
इस दिल में हुआ अंधेरा है,
एक बार तो तू कहदे मुझसे
तू मेरा है तू मेरा है,
तू मेरा है तू मेरा है,
श्याम सुन्दर के जो हैं पुजारी,
उनको मन में बसाए हुए है,
श्याम सुन्दर के जो है पुजारी।।
श्याम सुन्दर के जो है पुजारी,
प्रीत उनसे लगाए हुए है,
प्रीत उनसे लगाई हुए है,
तोड़ कर झूठे बंधन जगत के,
तोड़ कर झूठे बंधन जगत के,
प्रीत उनसे लगाए हुए है,
श्याम सुन्दर के जो है पुजारी,
उनको मन में बसाए हुए है,
श्याम सुन्दर के जो है पुजारी।।