श्याम सागर में,
डूब जाता हूँ मैं,
दर्दो गम दिल के,
भूल जाता हूँ मैं,
श्याम का नाम मुझे,
मस्त बना देता है।।
तर्ज – जाने क्यों लोग मोहब्बत।
जब भी पुकारूँ मैं,
मेरे बंसी बजईया को,
हर बार देखा हूँ,
मेरे हम दम कन्हैया को,
सपनो में आता है,
दिल को लुभाता है,
उलझे ख़यालो से,
मेरा दामन छुड़ाता है,
आके चुपके से,
मेरे सपने में वो,
तान मुरली से,
गजब की सुना देता है,
श्याम का नाम मुझें,
मस्त बना देता है।।
कई बार तो ये दिल,
बड़ा गमगीन होता है,
उस वक़्त सांवलिया,
मेरे नज़दीक होता है,
चुपचाप मैं भी वो भी,
चुपचाप होता है,
खामोश रहकर भी,
दिल में हलचल मचाता है,
होश रहता नही,
कुछ भी कहता नही,
मीठी मुस्कान से,
दिल को लुभा लेता है,
श्याम का नाम मुझें,
मस्त बना देता है।।
मैं याद में उनकी,
सभी कुछ भूल जाता हूँ,
लेकर के उनका नाम,
ख़ुशी के गीत गाता हूँ,
ये ज़िंदगी मेरी,
यूँ ही गुजर जाए,
हर वक़्त धड़कन से,
मेरी आवाज़ ये आए,
श्याम सरकार है,
बड़ा दिलदार है,
आज ‘बनवारी’ तुझे दिल से,
नमन करता है,
श्याम का नाम मुझें,
मस्त बना देता है।।
श्याम सागर में,
डूब जाता हूँ मैं,
दर्डो गम दिल के,
भूल जाता हूँ मैं,
श्याम का नाम मुझे,
मस्त बना देता है।।
Singer : Sanju Sharma