श्रीयादे चालिसा पाठ लिरिक्स

श्रीयादे चालिसा पाठ,

दोहा – बुध्दि में महान अन्दाता,
गणपत सिमरुं नाथ,
गुरु चरण में सिश नमाऊं,
जोड़ु दोनों हाथ।
गणपत मैया सिमरुं शारदा,
बुद्धि करना तेज,
पाठ करुं जगदम्ब श्रीयादे,
करिज्यो थोड़ी मेर।



मात श्रीयादे हरि घट ध्याई,

तीनों लोका जाण पुगाई।।1
कौन तपस्वी किनकी नारी,
महा जगदम्बा है कुम्भकारी।।2



ओम् सती लियो रुप साकारी,

पार्वती की मां अवतारी।।3
कर में कलश निर्मल पाणी,‌
घट में हरि नाम की वाणी।।4



ब्रह्मवंश की लाज बचाई,

लायड़ जी जलोन्धरा जाई।।5
दुष्ट प्रहलादी जैसा दानव,‌
चरण शरण ले कर दिया भानव।।6



जग में पाप बुद्धि जब होती,

जब ही धर्म की फीकी ज्योति।।7
तबहिं मां ले निज अवतारा,
पाप हिन करती माहीं तारा।।8



दुष्ट दानवी भंयकर राजा,

दन्त मध्य जैसे जीभा वासा।।9
सब सुख लहै तुम्हारी शरणां,
हरि हैं रक्षक काहु को डरना।।10



तुम्हारो मंत्र प्रहलाद माना,
हिरणाकुश का मान घटाना।।11
बड़ा-बड़ा मां दानव आया,
तेरी शरण में सिश नमाया।।12



राम संजीवन मुख में ध्याया,

संकट कालिन सायक आया।।13
साक्षात मैया पृथ्वी देवी,
सभी देवता तेरा सेवी।।14



करती राम-श्याम की पूजा,

और नहीं है देवन दुजा।।15
तुं जगदम्बा चामुंडा मैया,
नवदुर्गे नव रुपी मैया।।16



एक सौ आठ रुपा धारी,

प्रजापति कुल में अवतारी।।17
देवत की मां तुं उपकारी,
सिद्धेश्वर की तुं है नारी।।18



हिरणाकुश के राज समय में,

भक्ति परच्यो दियो जग में।।19
भक्त प्रहलाद ने देखी रचना,
नारायण भज भव सुं तीरना।।20



हिरणाकुश नगरी का राजा,

उल्टा प्रभावी देखा ताजा।।21
श्रीयादे मां शिल्पी वाली,
तुं जगदम्बा शेरोंवाली।।22



दुःख हरती शरणागत तेरी,

निज भक्ति दे इच्छा मेरी।।23
भक्ति तेरी स्वर्ग निशानी,
साक्षी निश्चय ईश्वर वाणी।।24



आदी भवानी दुनिया जाणी,

संकट हरणी तुं कल्याणी।।25
श्रीपर अम्बा वीणा वाली,
प्राणी करम को लिखने वाली।।26



पार्वती धर तुम्हीं रुपा,

दुर्गम मारे दुर्गा रुपा।।27
हिरणाकुश ने पानी पिलायो,
गर्भ कयाधु बीज बुवायो।।28



धरा-गगन मध्य विचरने वाली,

अखण्ड ज्योत दर्शाने वाली।।29
शिष्य तेरा है प्रहलाद मैया,
सतगुरु मां म्हारी अम्बा मैया।।30



आवे का मां किया बहाना,

भक्ति परच्यो पल में पाना।।31
धन्य हुआ मां राज कुंवरियां,
पल में पाया बालक परच्या।।32



उन्हीं दिवस सुं रटबां लागा,

धन्य किया मां मेरा भागा।।33
सफल भयो जी मेरा जीवन,
राम नाम की दी संजीवन।।34



सत्संग की जगदम्बा ड़ोरी,

इनके सिवा नहीं दुजी ओरी।।35
जो नर चाले इनके सहारे,
भगवत भव सुं पल में तारे।।36



पाठ करें श्रीयादे चालिसा,

तांपर कृपा करें जगदीशा।।37
ध्यान धरुं श्रीयादे तेरा,
तेरे सिवा नहीं जग में मेरा।।38



नि:संतन की गोद भरावे,

दीनन के घर लक्ष्मी आवे।।39
पार लगाओ मोरी नैया,‌
‘रतन’ बालक तेरा मैया।।40



दोहा – नमो-नमो परमेश्वरी,

और नमो-नमो करतार,
पाप हरण अवतार धरियो,
ओम् सती साकार।
बुद्धि हीन तन जानी के,
सुमिरों श्रीयादे मात,
बल बुद्धि विद्या देहु,
हरहु क्लेश मोरे मात।

इति श्रीयादे चालिसा पाठ..

गायक – कैलाशचन्द्र ब्रह्मभट्ट।
रचना – पंडित रतनलाल प्रजापति।


Previous articleघड़ियां हांड़ा कोई वो तपधारी जी देसी भजन लिरिक्स
Next articleराधा नाम जपा कर बन्दे काम यही बस आएगा लिरिक्स
Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here