श्री वल्लभ गुरु के चरणों में मैं नित उठ शीश झुकाता हूँ लिरिक्स

श्री वल्लभ गुरु के चरणों में,
मैं नित उठ शीश झुकाता हूँ,
मेरे मन की कली खिल जाती है,
जब दर्श तुम्हारा पाता हूँ,
श्री वल्लभ गुरु के चरणो में।।



मुझे वल्लभ नाम ही प्यारा है,

इसका ही मुझे सहारा है,
इस नाम में ऐसी बरकत है,
जो चाहता हूँ सो पाता हूँ,
मेरे मन की कली खिल जाती है,
जब दर्श तुम्हारा पाता हूँ,
श्री वल्लभ गुरु के चरणो में।।



जब याद तेरे गुण आते है,

दुःख दर्द सभी मिट जाते हैं,
मैं बनकर मस्त दीवाना फिर,
बस गीत तेरे ही गाता हूँ,
मेरे मन की कली खिल जाती है,
जब दर्श तुम्हारा पाता हूँ,
श्री वल्लभ गुरु के चरणो में।।



गुरु राज तपस्वी महामुनि,

सरताज हो तुम महाराजो के,
मैं इक छोटा सा सेवक हूँ,
कुछ कहता हुआ शर्माता हूँ,
मेरे मन की कली खिल जाती है,
जब दर्श तुम्हारा पाता हूँ,
श्री वल्लभ गुरु के चरणो में।।



गुरु चरणों में है अर्ज़ यही,

बढ़ती दिन रात रहे भक्ति,
मेरा मानुष जन्म सफल होवे,
यही भक्ति का फल चाहता हूँ,
मेरे मन की कली खिल जाती है,
जब दर्श तुम्हारा पाता हूँ,
श्री वल्लभ गुरु के चरणो में।।



श्री वल्लभ गुरु के चरणों में,

मैं नित उठ शीश झुकाता हूँ,
मेरे मन की कली खिल जाती है,
जब दर्श तुम्हारा पाता हूँ,
श्री वल्लभ गुरु के चरणो में।।

Singer – Sushil Ji Dammani
Upload By – Ashish Jain


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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