श्री रामायण विसर्जन वंदना लिखित में

श्री रामायण विसर्जन वंदना,

जय जय राजा राम की,
जय लक्ष्मण बलवान।
जय कपीस सुग्रीव की,
जय अंगद हनुमान।।



जय जय कागभुशुण्डि की,

जय गिरी उमा महेश।
जय ऋषि भारद्वाज की,
जय तुलसी अवधेश।।



बेनी सी पावन परम,

देनी श्रीफल चारि।
स्वर्ग नसेनी हरि कथा,
नरक निवारि निहारि।।



कहेउ दंडवत प्रभुहि सन,

तुमहि कहउँ कर जोरि।
बार बार रघुनायकहि,
सुरति करायहु मोरि।।



अर्थ न धर्म न काम रुचि,

गति न चहउँ निर्वान।
जनम जनम रति राम पद,
यह वरदान न आन।।



दीजै दीन दयाल मोहि,

बड़ो दीन जन जान।
चरण कमल को आसरो,
सत संगति की बान।।



कामहि नारि पियारि जिमि,

लोभहि प्रिय जिमिदाम।
तिमि रघुनाथ निरंतर,
प्रिय लागहु मोहि राम।।



बार बार वर माँगह,

हरषि देहु श्रीरंग।
पद सरोज अनपायनी,
भगति सदा सत्संग।।



एक घड़ी आधी घड़ी,

आधी मह पुनि आध।
तुलसी चर्चा राम की,
हरे कोटि अपराध।।



प्रनतपाल रघुवंश मनि,

करुना सिन्धु खरारि।
गहे सरन प्रभु राखिहैं,
सब अपराध विसारि।।



राम चरन रति जो चहे,

अथवा पद निर्वान।
भाव सहित सो यह कथा,
करे श्रवन पुट पान।।



मुनि दुर्लभ हरि भक्ति नर,

पावहि बिनहि प्रयास।
जो यह कथा निरंतर,
सुनहि मानि विश्वास।।



कथा विसर्जन होत है,

सुनउ वीर हनुमान।
जो जन जंह से आए हैं,
सो तंह करहि पयान।।



श्रोता सब आश्रम गए,

शंभू गए कैलाश।
रामायण मम ह्रदय मँह,
सदा करहुँ तुम वास।।



रावणारि जसु पावन,

गावहि सुनहि जे लोग।
राम भगति दृढ़ पावहि,
बिन बिराग जपजोग।।



राम लखन सिया जानकी,

सदा करहुँ कल्याण।
रामायण बैकुंठ की,
विदा होत हनुमान।

।। सियावर रामचंद्र की जय।।

प्रेषक – शेखर चौधरी,
मो – 9074110618

श्री रामायण विसर्जन वंदना का वीडियो उपलब्ध नही है।
सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ यहाँ देखें 


 

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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

13 COMMENTS

  1. जय श्री राम. राम के भजन बिन न काम कोई बनता है. राम नाम से ही संसार में सुगमता है..

  2. रामचरित समापन की पूर्ण विधि मंत्र सहित यदि हो तो Pls pdf send करे
    जय श्री राम

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