श्री राम भक्त बजरंग,
सिया राम का प्यारा है,
जिसनें भी राम जपा,
उसे मिला सहारा है,
श्रीं राम भक्त बजरंग,
सिया राम का प्यारा है।।
तर्ज – एक प्यार का नगमा है।
लंका के राजा ने,
हीरों का हार दिया,
श्री राम ने खुश होकर,
सिता जी को भेंट किया,
सीता ने कहा बजरंग,
ले इसे पहन लाला,
मेरे प्रभु की रक्षा का,
तुने काम किया आला,
श्रीं राम भक्त बजरंग,
सिया राम का प्यारा है।।
हनुमंत ने हीरो का,
जब तोड़ फेंक डाला,
लंकापति कहने लगा,
पागल बजरंग बाला,
तु है बन्दर तुझे क्या पता,
ये हार क्या होता है,
क्यूँ तोङ रहा हीरे,
क्यूँ हार को खोता है,
श्रीं राम भक्त बजरंग,
सिया राम का प्यारा है।।
हनुमत यूं कहने लगे,
मेरे काम की चीज वहीं,
जिसमें दिखतीं मुझको,
प्रभु राम की प्यारी छवि,
जब राम नाम मैंने,
पाया ना नगीने में,
तब चीर दिया सीना,
सिया राम थे सीने में,
श्रीं राम भक्त बजरंग,
सिया राम का प्यारा है।।
तेरे रोम रोम बाबा,
सिया राम समाया है,
जो राम राम बोले,
वो ही तुझे भाया है,
सियाराम का सुमिरन जो,
हर पल मे करता है,
हनुमान की कृपा भी,
वो हरदम पाता है,
श्रीं राम भक्त बजरंग,
सिया राम का प्यारा है।।
सारी सभा ने कह डाला,
कपि राम दिवाना है,
श्री राम के चरणो में,
हनुमत का ठिकाना है,
आनन्द तेरे चरणो मे,
बाबा शीश झुकाता है,
हे पवन पुत्र बजरंग,
तेरा भजन सुनाता है,
श्रीं राम भक्त बजरंग,
सिया राम का प्यारा है।।
श्री राम भक्त बजरंग,
सिया राम का प्यारा है,
जिसनें भी राम जपा,
उसे मिला सहारा है,
श्रीं राम भक्त बजरंग,
सिया राम का प्यारा है।।
प्रेषक – आनन्द भाट
9983180516
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