श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।
श्लोक – सच्चिदानंद रूपाय,
विश्वोत्पत्यादिहेतवे,
तापत्रय विनाशाय,
श्री कृष्णाय वयं नम:।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।।
बंदी गृह के तुम अवतारी,
कहीं जन्मे कहीं पले मुरारी,
किसी के जाए किसी के कहाये,
है अद्भुत हर बात तिहारी,
गोकुल में चमके मथुरा के तारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।।
अधर में बंशी ह्रदय में राधे,
बट गए दोनों में आधे आधे,
हे राधा नागर हे भक्त वत्सल,
सदैव भक्तो के काम साधे,
वहीँ गए जहाँ गए पुकारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।।
गीता में उपदेश सुनाया,
धर्म युद्ध को धर्म बताया,
कर्म तो कर मत रख,
फल की इक्षा,
ये सन्देश तुम्ही से पाया,
अमर है गीता के बोल सारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।।
राधे कृष्णा राधे कृष्णा,
राधे राधे कृष्णा कृष्णा,
राधे कृष्णा राधे कृष्णा,
राधे राधे कृष्णा कृष्णा।।
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।।
स्वर – श्री रविंद्र जैन।
Class Apart !!!
Would be great if more stanzas are added continuously and forever !!!!
Thanks, Please Download Bhajan Diary From Google Play.. 🙂
Pls correct last antra, as per shree jain’s bhajan. Thanks for lyrics..
We Trust Bhajan is Fully Correct. Thank You. 🙂
Very good
Fabulous bhajan
बहुत सुन्दर
वाह रविन्द्र जैन जी
आपका हर भजन
एक अलग तरीके
से आपकी मधुर आवाज़
आप के जैसा कोई नहीं
जय शंकर जी
Who has written this bhajan?
Is bhajan k rachiyta ka naam kya hai?
बहुत सुन्दर भजन