शिवरात्रि आई है,
खुशियाँ ये लायी है।
तर्ज – अब न छुपाऊंगा।
शिवरात्रि आई है,
खुशियाँ ये लायी है,
भक्तो के दिल में देखो,
मस्ती सी छाई है,
जय हो भोलेनाथ,
सदाशिव है बम लहरी,
बम बम भोलेनाथ,
अगड़ बम है शिव लहरी।।
शिवालय जाएंगे,
शिव को मनाएंगे,
जल चढ़ाके हम तो,
आज रिझाएंगे,
खुश होंगे भोलेनाथ,
सदाशिव है बम लहरी,
बम बम भोलेनाथ,
अगड़ बम है शिव लहरी।।
शिव भोला मतवाला है,
बाबा डमरू वाला है,
भांग में अलमस्त रहे,
पिए विष का प्याला है,
कैलाश पे डेरा लगाकर,
श्रंगी नाद बजाए,
तन पे भस्मी रमाकर,
बाघम्बर लिपटाए,
शिव की जटा से निकली,
गंगा की धारा है,
मस्तक पे चन्द्रमा का,
चमके उजियारा है,
त्रिनेत्र है विशाल,
गले में सर्प है जहरी,
बम बम भोलेनाथ,
अगड़ बम है शिव लहरी।।
स्वर्ग सा ये नजारा है,
प्यारा सजा ये द्वारा है,
दूल्हा बनकर बैठा है,
देखो ये बाबा हमारा है,
नजरो से नजरे मिलाकर,
रूप ये इनका निहार ले,
नैनो के रस्ते से ये छवि,
‘दिलबर’ दिल में उतार ले,
जीवन बन जाएगा,
मौज उड़ाएगा,
छोड़ के बाबा तुझको,
फिर नहीं जाएगा,
जन्मो जनम देंगे साथ,
चिंता मिट जाए तेरी,
बम बम भोलेनाथ,
अगड़ बम है शिव लहरी।।
शिव रात्रि आई है,
खुशियाँ ये लायी है,
भक्तो के दिल में देखो,
मस्ती सी छाई है,
जय हो भोलेनाथ,
सदाशिव है बम लहरी,
बम बम भोलेनाथ,
अगड़ बम है शिव लहरी।।
– भजन गायक –
नागेश कमलेश काठा
– भजन लेखक –
दिलीप सिंह सिसोदिया दिलबर