शिर्डी वाले साईं बाबा,
आया है तेरे दर पे सवाली।।
श्लोक – जमाने में कहाँ,
टूटी हुई तस्वीर बनती है,
तेरे दरबार में,
बिगड़ी हुई तकदीर बनती है।
तारीफ़ तेरी निकली है दिल से,
आई है लब पे बन के कवाली,
शिर्डी वाले साईं बाबा,
आया है तेरे दर पे सवाली,
लब पे दुआए आँखों में आंसू,
दिल में उम्मीदें पर झोली खाली।।
ओ मेरे साईं देवा,
तेरे सब नाम लेवा,
जुदा इंसान सारे,
सभी तुझ को प्यारे,
सुने फ़रिआद सब की,
तुझे है याद सब की,
बड़ा है कोई छोटा,
नहीं मायूस लौटा,
अमीरों का सहारा,
गरीबो का गुजारा,
तेरी रहमत का किस्सा बयान,
अकबर करे क्या,
दो दिन की दुनिया,
दुनिया है गुलशन,
सब फूल कांटे,
तू सब का माली।
शिर्डी वाले साई बाबा,
आया है तेरे दर पे सवाली।।
खुदा की शान तुझ में,
दिखे भगवान् तुझ में,
तुझे सब मानते हैं,
तेरा घर जानते हैं,
चले आते हैं दौड़े,
जो खुशकिस्मत हैं थोड़े,
यह हर राही की मंजिल,
यह हर कश्ती का साहिल,
जिसे सब ने निकाला,
उसे तुने संभाला,
तू बिछड़ो को मिलाये,
बुझे दीपक जलाए,
यह गम की राते,
राते यह काली,
इनको बनादे ईद और दीवाली।।
शिर्डी वाले साईं बाबा,
आया है तेरे दर पे सवाली,
लब पे दुआए आँखों में आंसू,
दिल में उम्मीदें पर झोली खाली।।