शेरों का दल राजस्थान,
दोहा – जननी जने तो ऐडा जण,
के दाता के सुर,
नई तर रइजे बांजडी,
माँ मती गमाजे नूर।
इधर पद्मिनी दर्पण देखें,
उधर वो खिलजी जी मूर्छित हो,
जहां हुमायूं लाज बचाने,
बहना की आकर्षित हो,
चंदन का बलिदान जहां पर,
कर देती माताएं हो,
इस माटी का कण कण गाता,
जोहर की गाथाएं हो,
गोरा बादल राजस्थान,
शेरों का दल राजस्थान,
चौड़ी छाती राजस्थान,
सबसे न्यारा राजस्थान।।
महाराणा को देख स्वप्न में,
अकबर भी डर जाता हो,
स्वामी भक्त चेतक प्राणों को,
न्यौछावर कर जाता हो,
भक्त मई मीरा भजनों में,
प्रेम सुधा भर देती हो,
हाड़ी रानी जहां निशानी,
शीश काट कर देती हो,
वीर सलंबर राजस्थान,
चौड़ी छाती राजस्थान,
हल्दीघाटी राजस्थान,
सबसे न्यारा राजस्थान।।
आन बान और मर्यादा की,
पानीदार कहानी है,
प्राण जाए पर वचन न जाए,
राजस्थानी पानी है,
पति की अर्थी को कंधा,
क्षत्राणी ही दे सकती है,
परमाणु विस्फोट यहां की,
धरती ही सह सकती है,
बोला कण-कण राजस्थान,
थारा मारा राजस्थान,
वीर सलंबर राजस्थान,
चौड़ी छाती राजस्थान।।
गायक / प्रेषक – देव शर्मा आमा।
8290376657