शरण में हम तुम्हारे आ पड़े है,
ओ भोले तेरे द्वारे आ पड़े है,
शरण में हम तुम्हारे आ पड़े हैं,
ओ बाबा तेरे द्वारे आ पड़े है।।
भगत के दिल को यूँ ना तोड़ देना
निराशा कर प्रभु ना छोड़ देना,
बहुत ही गम के मारे आ पड़े है,
शरण में हम तुम्हारे आ पड़े हैं,
ओ बाबा तेरे द्वारे आ पड़े है।।
हमें भी अपनी सेवा में लगा लो,
चरण का अपने सेवक तुम बना लो,
जगत से बेसहारे आ पड़े है,
शरण में हम तुम्हारे आ पड़े हैं,
ओ बाबा तेरे द्वारे आ पड़े है।।
फसी है नाव ‘शर्मा’ की निकालो,
सहारा देके ‘लक्खा’ को बचा लो,
लो झोली को पसारे आ पड़े है,
शरण में हम तुम्हारे आ पड़े हैं,
ओ बाबा तेरे द्वारे आ पड़े है।।
शरण में हम तुम्हारे आ पड़े है,
ओ भोले तेरे द्वारे आ पड़े है,
शरण में हम तुम्हारे आ पड़े हैं,
ओ बाबा तेरे द्वारे आ पड़े है।।
स्वर – लखबीर सिंह जी लख्खा।