माँ काली री तेरे चरणों में,
जाऊँ लोट मैं,
शनिवार के दिन माँ काली,
लाऊँ भोग मैं।।
माँ काली मेरे मन में बसग्या,
रूप तेरा विकराल री,
संकट काट दिये मने,
दिखे जो जंजाल री,
कद सी आकै दर्शन देवैं,
होरया सोच मैं,
शनिवार के दिन मां काली,
लाऊँ भोग मैं।।
सबतै न्यारा रूप तेरा री,
इस सारे जहान में,
काला काला रूप तेरा री,
ला बैठया जब ध्यान में,
भूता की तु नाड़ तोड़े,
पेडे़ के भोग में,
शनिवार के दिन मां काली,
लाऊँ भोग मैं।।
दुनिया के मै घूम लिया,
मेरा कटता किते रोग नहीं,
तेरी शरण जो भी आता,
रहता उसका रोग नहीं,
संकट ने तू मार भगावै,
पहली चोट में,
शनिवार के दिन मां काली,
लाऊँ भोग मैं।।
‘लक्की शर्मा’ तेरी दया तै,
खुब करें प्रचार री,
बलराज भगत माँ शामदो आला,
ना करता सोच विचार री,
दुखिया का यू बनता सहारा,
तेरी ओट तै,
शनिवार के दिन मां काली,
लाऊँ भोग मैं।।
माँ काली री तेरे चरणों में,
जाऊँ लोट मैं,
शनिवार के दिन माँ काली,
लाऊँ भोग मैं।।
गायक – लक्की शर्मा।
लेखक – पंडित बलराज शर्मा।
8883000119