शाम से पहले श्याम ही आए,
दुनिया वाले काम ना आए,
शाम से पहले श्याम ही आए।।
तर्ज – दो दिल टूटे दो दिल हारे।
फिरता रहा था मै तो,
गलियों में मारा मारा सांवरे,
अपने से खायी ठोकर,
कुछ ना मिला था मुझको सांवरे,
तेरी शरण में आया,
तेरी शरण में आया,
सबकुछ लुटा के,
शाम से पहले,
श्याम ही आए।।
सुनकर के रुतबा तेरा,
दर पे तुम्हारे आया सांवरे,
असुवन की धारा लेके,
आँखों में आया मै तो सांवरे,
कुछ भी ना कहने पाया,
कुछ भी ना कहने पाया,
दर पे तेरे आके,
शाम से पहले,
श्याम ही आए।।
धर्मी तो तरते देखे,
कर्मो के बल पे अपने सांवरे,
मुझसा ना अधमी दूजा,
श्याम जगत में कोई सांवरे,
फिर भी बचाई तूने,
फिर भी बचाई तूने,
लाज मेरी आके,
शाम से पहले,
श्याम ही आए।।
शाम से पहले श्याम ही आए,
दुनिया वाले काम ना आए,
शाम से पहले श्याम ही आए।।