सेवक लाए है भंगिया,
भोले बाबा छान के,
भर भर के लोटा पि ले,
मस्ती में तान के,
भर भर के लोटा पि ले,
मस्ती में तान के।।
तर्ज – छुरिया चल जाए मेरी।
बड़े जतन से हौले हौले,
भांग तेरी घुटवाई,
भांग तेरी घुटवाई,
केसर पिस्ता खूब मिलाया,
छान लई ठंडाई,
छान लई ठंडाई,
हमरी भी रख ले बतिया,
सेवक तू जान के,
भर भर के लोटा पि ले,
मस्ती में तान के,
भर भर के लोटा पि ले,
मस्ती में तान के।।
गौरा मैया के हाथों से,
भांग सदा तू खाए,
भांग सदा तू खाए,
तेरे सेवक बड़े प्रेम से,
भांग घोट के लाए,
भांग घोट के लाए,
सावन की बुँदे थिरके,
रिम झिम की ताल पे,
भर भर के लोटा पि ले,
मस्ती में तान के,
भर भर के लोटा पि ले,
मस्ती में तान के।।
और देव होते तो लाते,
भर भर थाल मिठाई,
भर भर थाल मिठाई,
लेकिन भोले बाबा तुझको,
भांग सदा ही भायी,
भांग सदा ही भायी,
‘हर्ष’ दया का भोले,
हमको भी दान दे,
भर भर के लोटा पि ले,
मस्ती में तान के,
भर भर के लोटा पि ले,
मस्ती में तान के।।
सेवक लाए है भंगिया,
भोले बाबा छान के,
भर भर के लोटा पि ले,
मस्ती में तान के,
भर भर के लोटा पि ले,
मस्ती में तान के।।
स्वर – सौरभ मधुकर।