सांवरियो जादू कर गयो,
दोहा – लकड़ी जल कोयला भई,
ने कोयला जल भई राख,
मै विरहन ऐसी जली,
न कोयला भई न राख।
मै क्या करूँ सखी मै क्या करूँ,
सांवरियो जादू कर गयो,
मै क्या करूँ,
सावरियो जादू कर गयो,
मै क्या करूँ,
बंशीवालो जादू कर गयो,
मै क्या करूँ।।
सिर की टिलडी ओर काजलडी,
बाजुबंध नगीना,
सिर की टिलडी ओर काजलडी,
बाजुबंध नगीना,
आँखीया री कस टूटन लागी,
आवत अंग पसीना,
सावरियो जादू कर गयो,
मै क्या करूँ,
बंशीवालो जादू कर गयो,
मै क्या करूँ।।
भर गागर सागर से निकसी,
सूरज अरख मोहे दिना,
भर गागर सागर से निकसी,
सूरज अरख मोहे दीना,
वृंदावन की कुंज गलीया मे,
आवत श्याम सलोना,
सावरियो जादू कर गयो,
मै क्या करूँ,
बंशीवालो जादू कर गयो,
मै क्या करूँ।।
मेडतो छोड उदयपुर छोड्यो,
छोड़ दिया जग सारा,
मेडतो छोड उदयपुर छोड्यो,
छोड़ दिया जग सारा,
मीरा कहे प्रभु गिरधर नागर,
अपने रंग में रंग डाला,
सावरियो जादू कर गयो,
मै क्या करूँ,
बंशीवालो जादू कर गयो,
मै क्या करूँ।।
मै क्या करूँ सखी मै क्या करूँ,
सांवरियो जादू कर गयो,
मै क्या करूँ,
सावरियो जादू कर गयो,
मै क्या करूँ,
बंशीवालो जादू कर गयो,
मै क्या करूँ।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी।
(रायपुर जिला पाली राजस्थान)
9640557818