साँवरिया ओ साँवरिया,
भा गई तेरी सुरतिया,
दिल में मेरे उतर गई,
तेरी चितवन घायल कर गई,
साँवरिया ओ साँवरिया,
भा गई तेरी सुरतिया।।
तर्ज – धीरे धीरे बोल कोई सुन न।
शीश मुकुट पे मोर पंख प्यारी,
ले रही हिलोरा हो रही मतवारी,
गालों ने सहलावे लटकारी,
तीर चलावे अंखिया कजरारी,
कातिल तेरी मुस्कान है,
या ले रही मेरी जान है,
छटा बड़ी मन भावनी,
ज्यूँ चंदा वरणी चांदनी,
सांवरिया ओ सांवरिया,
भा गई तेरी सुरतिया।।
केसरिया बागो मन ने भावे,
कानो में कुण्डल हिचकोला खावे,
गल वैजन्ती माला मन मोहे,
कमर में फेंटो सतरंगी सोहे,
पायल तेरी रुणझुण बजे,
या बांसुरी कटी पर सजे,
घुंगरू देवे ताल है,
तेरी टेढ़ी मेढ़ी चाल है,
सांवरिया ओ सांवरिया,
भा गई तेरी सुरतिया।।
जगह जगह से मांगणिया आवे,
भर भर झोली श्याम से ले जावे,
आवणिये ने करे नहीं इंकार,
खूब लुटावे टाबरिया पे प्यार,
तू जाण ले पहचाण ले,
निर्मल कवे यो मान ले,
सेठ बड़ो दिलदार है,
अरे यो यारा को यार है,
सांवरिया ओ सांवरिया,
भा गई तेरी सुरतिया।।
साँवरिया ओ साँवरिया,
भा गई तेरी सुरतिया,
दिल में मेरे उतर गई,
तेरी चितवन घायल कर गई,
सांवरिया ओ सांवरिया,
भा गई तेरी सुरतिया।।