सतगुरु पारस खान है,
दोहा – गुरु की कीजे बंदगी,
दिन में सौ – सौ बार,
काग पलट हंसा किया,
करत न लागी वार।
सतगुरु पारस खान है,
लोहा जुग सारा,
टूक इक पारस संग रमे,
होते कंचन तन सारा,
ऐसो सतवादी मारो सायबो,
उपजेला ब्रह्म ज्ञान,
ऐसो सतवादी मारो सायबो।।
इण शबदा में म्हारो मन बस्यो,
ठंडा नीर अथागा,
चबकी मारी गुरु रे नाम री,
कण लाया ततसारा,
सतगुरु पारस खान हैं,
लोहा जुग सारा,
ऐसो सतवादी मारो सायबो।।
इणरे सबदो रा सौदागिरी,
हिरा-हिरा गुण भरेवा,
साध मिले सोदा करे,
मूंगे मोल बिकेवा,
सतगुरु पारस खान हैं,
लोहा जुग सारा,
ऐसो सतवादी मारो सायबो।।
सीप समद में रहत हे,
समदर का क्या लीजे,
बूंद पड़े आसोज री,
शोभा समदरिया ने दीजे,
सतगुरु पारस खान हैं,
लोहा जुग सारा,
ऐसो सतवादी मारो सायबो।।
सतिया धरम ने झेलना,
भव जल उतरो पारा,
शेख फरीद री वीनति,
जुग – जुग दास तुम्हारा,
सतगुरु पारस खान हैं,
लोहा जुग सारा,
ऐसो सतवादी मारो सायबो।।
सतगुरु पारस खान है,
लोहा जुग सारा,
टूक इक पारस संग रमे,
होते कंचन तन सारा,
ऐसो सतवादी मारो सायबो,
उपजेला ब्रह्म ज्ञान,
ऐसो सतवादी मारो सायबो।।
गायक – Mahendra singh
प्रेषक – Jitendra B.Gehlot
Mo. 8892357345
Achcha