समय कर देता है मोहताज दाने दाने को भजन लिरिक्स

कहावत कर देती अहसास,
इस ज़माने को,
समय कर देता है मोहताज,
दाने दाने को।।

तर्ज – कोई पत्थर से ना मारे।



सखा बचपन के,

सुदामा और नन्दलाल हुए,
मित्रताई की,
इस जहान में मिसाल हुए,
भरी रस भावना से,
भाव कैसे बदलते,
चतुर चितचोर से ही,
सुदामा चाल चलते,
गुरुमाता दिए थे जो,
चना चबाने को,
सुदामा हो गए मोहताज,
दाने दाने को।।



कहाँ कब हो क्या,

किसी ने नहीं देखा कल को,
दुखी दिन कैसे,
दिखा दिए राजा नल को,
पास सबकुछ था जिनके,
रहे वो हाथ मलते,
भुजी मछली भी जल में,
चली जाती उछल के,
जल के भी जल में,
जाती है जी जलाने को,
राजा नल हो गए मोहताज,
दाने दाने को।।



समय जब उन पर,

अज्ञात वास का आया,
पांडवो को पत्नी सहित,
है उदास पाया,
कभी चिंता सताए,
कोई ना जान पाए,
अगर कोई जान जाये,
तो फिर ये जान जाये,
विनोदी फिरते विमल,
कैसे समय बिताने को,
पांडव हो गए मोहताज,
दाने दाने को।।



कहावत कर देती अहसास,

इस ज़माने को,
समय कर देता है मोहताज,
दाने दाने को।।

गायक – पं. चंद्रभूषण जी पाठक।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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