सालासर री पावन धरती,
बटे विराजे हनुमान जी,
सब सु प्यारो सब सु नियारो,
सालासर दरबार जी।।
रुलाड़ी रा मोहनदासजी,
भक्ति किनी जोर की,
भक्त शिरोमणि कहलाया,
कीनो जग में नाम जी।।
सूरज शामी बन्यो रे देवरो,
भक्त आवे नर नार जी,
अखण्ड ज्योत है जाग रही,
सालासर हो धाम जी।।
चैत्र सुदी पुनम को मेलो,
भक्त आवे नर नार जी,
भक्त थारे दर्शन ने आवे,
गुड़ चना को भोग जी।।
रामदूत अंजली के लाल को,
धरो हमेशा ध्यान जी,
चरणा में थारे प्रविण गावे,
सेवक चरणा रो दाश जी।।
सालासर री पावन धरती,
बटे विराजे हनुमान जी,
सब सु प्यारो सब सु नियारो,
सालासर दरबार जी।।
गायक / प्रेषक – प्रविण पारीक सुरत।
M – 9998404239