साईं का दरबार सुहाना लगता है,
दोहा – मेरे साईं के दर पे,
सारी दुनिया,
करम मांगने को चली आ रही है,
सजा खुबसूरत है,
साईं का मंदिर,
यही भक्तो की,
टोलियाँ गा रही है।
साईं का दरबार सुहाना लगता है,
बेसहारों का ठिकाना लगता है,
तेरे करम की भीख सबको मिलती है,
सारा ही संसार दीवाना लगता है,
साई का दरबार सुहाना लगता हैं,
बेसहारों का ठिकाना लगता है।।
तर्ज – दुल्हे का सेहरा।
साईं की चाहत में धड़के,
दिल की ये धड़कन,
साईं पे अपना लुटा दूँ,
सारा ही जीवन,
साईं मेरा जग में लगता,
ईश्वर का दर्पण,
साईं की सूरत में कर ले,
ईश्वर का दर्शन,
साईं साईं ओ मेरे साईं,
साईं साईं ओ मेरे साईं,
साईं मेरे साईं साईं मेरे साईं,
साईं साईं साईं साईं साईं,
मेरे साईं,
इनका दर रहमत का,
खजाना लगता है,
साई का दरबार सुहाना लगता हैं,
बेसहारों का ठिकाना लगता है।।
मेरे साईं जग में तेरा,
बोलबाला है,
सारी दुनिया को अकेले,
ही संभाला है,
मेरा साईं शिर्डी वाला,
नूर वाला है,
तेरे करम का सारे ज़माने,
में उजाला है,
झुकता दर पे सारा जमाना लगता है,
साई का दरबार सुहाना लगता हैं,
बेसहारों का ठिकाना लगता है।।
मेरे साईं की है सूरत,
सबसे ही सुन्दर,
शिर्डी नगरी का अजब ही,
देखा है मंजर,
सारी दुनिया आई हुई है,
साईं के दर पर,
मेरा साईं है करम का,
प्यार का सागर,
जिसको देखो वो परवाना लगता है,
साई का दरबार सुहाना लगता हैं,
बेसहारों का ठिकाना लगता है।।
साईं का दरबार सुहाना लगता है,
बेसहारों का ठिकाना लगता है,
तेरे करम की भीख सबको मिलती है,
सारा ही संसार दीवाना लगता है,
साई का दरबार सुहाना लगता हैं,
बेसहारों का ठिकाना लगता है।।