साधो भाई अपणी आप लखेलो देसी भजन

साधो भाई अपणी आप लखेलो,
अपणी बात आप ही जाणे,
ना घटे ना बधेलो,
ना कोई बंध मुक्त का फंदा,
ना मिल्यो बिसरेलो,
पाँच क्लेश लेश नी जिसमे,
ना गुरु ना चेलो,
साधों भाई अपणी आप लखेलो।।



दस इंद्री मन बुध्दि न जाणे,

शब्दा अर्थ थकेलो,
स्वयं प्रकाशी आदि अविनाशी,
ज्ञाता ज्ञान नगेलो,
साधों भाई अपणी आप लखेलो।।



देश काल वस्तु गुण नाही,

ना कोई संग अकेलो,
सट परवाण लागे न कोई,
ना समझे ना गेलो,
साधों भाई अपणी आप लखेलो।।



सूक्ष्म गति अवांचक पद है,

ना न्यारो ना भेळो,
अचलराम निज केवल चेतन,
अगम निगम देवे हेलो,
साधों भाई अपणी आप लखेलो।।



साधो भाई अपणी आप लखेलो,

अपणी बात आप ही जाणे,
ना घटे ना बधेलो,
ना कोई बंध मुक्त का फंदा,
ना मिल्यो बिसरेलो,
पाँच क्लेश लेश नी जिसमे,
ना गुरु ना चेलो,
साधों भाई अपणी आप लखेलो।।

प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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