साधो अब घर पायो जबर रे,
दोहा – बड़े भाग सतगुरु मिले,
बड़े भाग सत्संग,
श्री लादुनाथ हरिनाम को,
प्राणी रे रोम रोम बिच रंग।
सत्संग तो शूरा करे,
जिनके मोटे भाग,
श्री लादुनाथ हरि नाम बिना,
वे हंस नहीं हैं काग।
सत्संग जग में शिरोमणि,
ज्यूँ तारों बिच चंद,
श्री लादुनाथ कहे हरि नाम से,
कटे जमो का फंद।
साधो अब घर पायो जबर रे,
आवागमन में फेर नही आऊँ,
नहीं कोई जन्म मरण रे,
तीन लोक तक माया रो चाळो,
चोवदे भवन तक डर रे,
उनके आगे भोम बसत हैं,
वही तू आसरो कर रे,
साधों अब घर पायो जबर रे।।
ना कोई बाणी ना कोई खाणी,
ना कोई क्षर-अक्षर रे,
हद बेहद अनहद के आगे,
ना कोई धरणी अम्बर रे,
साधों अब घर पायो जबर रे।।
ना कोई रेवे सुर ना कंधा,
आसन किया अधर रे,
झिलमिल नूर अमीरस बरसे,
सप्त भौम से पर रे,
साधों अब घर पायो जबर रे।।
नानक नाथ मिल्या गुरु पूरा,
कह दीना वचन अखर रे,
लादुनाथ कहे अखेह अविनाशी,
वठे काळ मौत ना डर रे,
साधों अब घर पायो जबर रे।।
साधों अब घर पायो जबर रे,
आवागमन में फेर नही आऊँ,
नहीं कोई जन्म मरण रे,
तीन लोक तक माया रो चाळो,
चोवदे भवन तक डर रे,
उनके आगे भोम बसत हैं,
वही तू आसरो कर रे,
साधों अब घर पायो जबर रे।।
गायक – जगदीश पलाणा।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052